
Q 1. इनमे से कौन प्राकृतिक आपदा है?
(A) बाढ़
(B) सुनामी
(C) भूकंप
(D) सभी
उत्तर – D
Q 2. पृथ्वी में कम्पन को क्या कहते है?
(A) बाढ़
(B) सुखाड़
(C) भूकंप
(D) सुनामी
उत्तर – C
Q 3. औसत वार्षिक को मात्रा में कितने % से अधिक की कमी आती है तो , उसे सुखाड़ कहते है?
(A) 10
(B) 35
(C) 25
(D) 50
उत्तर – C
Q 4. कितने सेंटीमीटर से कम वर्षा वाले क्षेत्र में हर साल सुखाड़ आता है?
(A) 25
(B) 50
(C) 90
(D) 20
उत्तर – B
Q 5. किस साल में कोसी नदी में भयंकर बाढ़ आई थी?
(A) 2020
(B) 2008
(C) 2000
(D) कोई नही
उत्तर – B
Q 6. इनमे से कौन नदी बिहार का शोक है?
(A) गंगा
(B) सोन
(C) कोसी
(D) महानदी
उत्तर – C
Q 7. भूकंप रोधी भवन में किस प्रकार की भवन प्राथमिकता दी गई है?
(A) वृताकार
(B) गोलाकार
(C) बहुभूजीय
(D) आयताकार
उत्तर – D
Q 8. भारत में विनस्कारी चरकवात कब आया था?
(A) 24 अक्टूबर 1999
(B) 30 अक्टूबर 1999
(C) 23 अक्टूबर 1999
(D) 29 अक्टूबर 1999
उत्तर – D
Q 9. भारत में विनासकारी भूकंप कब आया था?
(A) 1954
(B) 1934
(C) 1987
(D) 1989
उत्तर – B
Q 10. भारत में प्रमुख सुखाड़ वर्ष कौन सा है?
(A) 1966
(B) 1867
(C) 1990
(D) 1678
उत्तर – A
Q 11 . भारत में प्रमुख सुनामी कब आया था?
(A) 26 दिसम्बर 2004
(B) 25 दिसम्बर 2004
(C) 21 दिसम्बर 2004
(D) 12 दिसम्बर 2004
उत्तर – A
Q 12. इनमें से कौन मानवजनित आपदा है?
(A) दंगा
(B) आतंकवाद
(C) महामारी
(D) सभी
उत्तर – D
Subjective VVI Questions:
Q1.भूकंप का अर्थ क्या है?
उत्तर: भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है जो धरती की तंग ताकत ने एकाधिक चुंबकों के आभासी बलों के कारण उत्पन्न होता है। यह भूमि के अंदर तेजी से फैलने वाली ऊँची तरंगों के बीच एक दोष से होता है, जो भूकम्प के परिणामों को बढ़ाते हैं। जब ये तरंगें संतुलन खो देती हैं, तो भूमि का एक हिस्सा अचानक चलता है, जो भूमि के दूसरे हिस्सों के साथ घटित होने वाली झटकों के कारण भूमिगत दलन बन जाता है।
भूकंप का असर अक्सर भूमि के उपजाऊ अंगों के ऊपर असर डालता है और इसका परिणाम विपणियों, इमारतों, और आवासीय क्षेत्रों के बिगड़ने में देखा जा सकता है। यह बहुत ही खतरनाक होता है और बहुत से लोगों को मार देता है।
Q2.प्राकृतिक आपदा एवं मानव जनित आपदा में उदाहरण के साथ बताए।
उत्तर:
प्राकृतिक आपदाएं वे घटनाएं हैं जो प्रकृति द्वारा उत्पन्न होती हैं। कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:
- भूकंप
- तूफान
- ज्वालामुखी
- बाढ़
- जलप्रलय
- सूखा
- भूस्खलन
- प्राकृतिक आग
दूसरी ओर, मानव जनित आपदाएं वे घटनाएं होती हैं जो मानव द्वारा उत्पन्न होती हैं। ये आपदाएं ज्यादातर मानव की गलतियों, विवेकहीनता और उपेक्षा के कारण होती हैं। कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:
- बम धमाकों
- आतंकवादी हमले
- जहरीले धुएं का उत्पादन
- दुर्घटनाओं या असुरक्षित निर्माण कामों से होने वाली मौतें या घायली
- युद्ध और संघर्षों से होने वाले नुकसान
इन दो तरह की आपदाओं में से प्रत्येक आपदा में मानवों को बचाने के लिए आवश्यक उपाय होते हैं और आवश्यक होता है कि संचार, आपातकालीन उपचार और संगठन के माध्यम से आपदा के समय लोगों को मदद मिल सके।
Q3. आपदा प्रबंधन क्या है ?इसकी क्या आवश्यकता है?
उत्तर:
आपदा प्रबंधन उन सभी गतिविधियों को सम्मिलित करता है जो अपने समुदाय को संघर्ष से संभालने और अपनी संरचनात्मक, मानव संसाधन और आर्थिक संसाधनों की संख्या को पुनर्स्थापित करने के लिए कदम उठाते हैं जब किसी अवस्था या घटना के कारण समुदाय अत्यधिक पीड़ित होता है।
आपदा प्रबंधन के लक्ष्यों में से एक है समुदाय को आपदा से बचाना और समुदाय के सदस्यों की जान और संपत्ति की सुरक्षा करना। इसके अलावा आपदा प्रबंधन का अन्य महत्वपूर्ण उद्देश्य है संगठन, तैयारी और प्रतिक्रियाशीलता के माध्यम से अपने समुदाय को आपदाओं से संभालना और उन्हें संघर्ष से निपटने की क्षमता प्रदान करना।
आपदा प्रबंधन की आवश्यकता उस समय बनती है जब घटनाओं या प्राकृतिक आपदाओं के चलते लोगों के जीवन और संपत्ति को खतरा होता है। एक अच्छी आपदा प्रबंधन योजना आपदा के समय लोगों को संभालने और आपदा से बचने में मदद कर सकती है|
आपदा से जल्दी से उबर सकते हैं। इसके अलावा, आपदा प्रबंधन के लिए तैयारी और योजना बनाने से लोगों को एक संबल और सकुशल मानव संसाधन बनाने में मदद मिलती है।
आपदा प्रबंधन उचित योजना, संसाधनों, संरचनाओं, संगठनों और तकनीकी ज्ञान का एक उपयोग है जो आपदा से निपटने में मदद कर सकता है। इसलिए, आपदा प्रबंधन सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक दलों द्वारा समर्थित और विकसित किया जाना चाहिए।
आज के समय में, जहाँ आपदाओं के आकार और तीव्रता बढ़ती जा रही है, एक अच्छी आपदा प्रबंधन योजना और उचित तैयारी बहुत आवश्यक है। इससे आपदा के समय समुदाय को बेहतर संगठित होने में मदद मिलती है, जिससे उन्हें आपदा से संघर्ष करने में आसानी होती है और वे जल्दी से उबर सकते हैं।
Q4.ज्वालामुखी क्या है? यह कैसे उत्पन्न होता है?
उत्तर:
ज्वालामुखी (Volcano) एक प्रकार का भूगर्भीय उपद्रव है जो धरती के अंदर छिपे आग और गैस के प्रकोप को बाहर निकालता है। ज्वालामुखी से आने वाली आग और गैस समुद्र तल से उठती हैं और विभिन्न प्रकार के ज्वालामुखी आकार, आग की मात्रा और उत्पन्न होने के कारण भिन्न-भिन्न होते हैं।
ज्वालामुखी की उत्पत्ति धरती के भूगर्भ में उत्पन्न गर्मी और दबाव के कारण होती है। जब गर्म लवा धरती के अंदर से निकलता है, तो इसमें छिपी गैसों के दबाव के कारण ज्वालामुखी उत्पन्न होता है। जब यह गर्म लवा धरती के सतह तक पहुंचता है, तो यह धीमे धीमे ठंडा होता है और सतह पर चढ़ जाता है। लेकिन, जब इसमें फिर से गैस का दबाव बढ़ता है तो यह फिर से ज्वालामुखी के रूप में उत्पन्न होता है।ज्वालामुखी के उत्पन्न होने के अन्य कारण शामिल हैं भूमिगत ज्वालामुखियों, धातु में स्थित ज्वालामुखियों, उत्पादक क्षेत्रों या अधिक
उष्मा क्षेत्रों से मिलती गर्मी से उत्पन्न होना भी हो सकता है। ज्वालामुखी के उत्पन्न होने के कारण अक्सर लोगों के जीवन और संपत्ति पर असर पड़ता है।
ज्वालामुखी उत्पन्न होने पर आग और गैस समुद्र तल से ऊपर उठती हैं जो लवा, टॉफी, पुरी, वायुक्षेत्र, धुआँ, गैस और पत्थरों की बारिश के रूप में धरती पर गिरते हैं। यह ज्वालामुखी से बाहर निकलने वाली आग और गैस के तापमान के कारण आस-पास के क्षेत्रों में भी दुष्प्रभाव पैदा करती हैं। ज्वालामुखी से निकलने वाली गैस में विषैले धुएं शामिल होते हैं जो आसमान में उछलते हुए धरती के वातावरण को प्रभावित करते हैं और धुंध और हवाओं में अस्थमा जैसी बीमारियों के लिए खतरनाक होते हैं।
Q5. बाढ़ और सुखाड़ को कैसे रोका जा सकता?
उत्तर:
बाढ़ और सुखाड़ दोनों ही प्राकृतिक आपदाओं हैं जो अक्सर जलवायु परिवर्तन के कारण होते हैं। इन आपदाओं को रोकने और इससे बचने के लिए कुछ निम्नलिखित उपाय हैं:
- जल संरक्षण: जल संरचनाओं का निर्माण करने से पानी को संचयित करना और जल संरक्षण करना चाहिए। इससे बाढ़ जैसी समस्याओं को कम किया जा सकता है।
- पेड़ों का पौधारोपण: पेड़ों के बागान में पौधे लगाने से जल संचयित होता है और बाढ़ से बचाव होता है। पेड़ों की जड़ें भी जल को संचयित करने में मदद करती हैं।
- सिंचाई व्यवस्था: उचित सिंचाई व्यवस्था से सुखाड़ जैसी समस्याओं को कम किया जा सकता है।
- जल प्रबंधन: जल प्रबंधन उपकरणों का निर्माण करने से पानी को संचयित किया जा सकता है और जल संचय की तकनीक का उपयोग करके सुखाड़ जैसी समस्याओं से निपटा जा सकता है।
- जल बचाओ अभियान: जल बचाओ अभियान का प्रचार करना और जल संरक्षण पर जनता को जागरूक कर सकता है। लोगों को जल संचय करने और जल सफाई के बारे में शिक्षित करने से उनमें जागरूकता बढ़ती है और वे जल संबंधी समस्याओं का समाधान निकालने में सक्षम होते हैं।
- स्थानीय विकास योजनाएं: स्थानीय विकास योजनाएं बाढ़ और सुखाड़ जैसी समस्याओं को कम करने में मदद करती हैं। इसमें जल संचय, जल सफाई, जल प्रबंधन, सिंचाई व्यवस्था आदि शामिल होते हैं।
- संवेदनशील विकास: संवेदनशील विकास उन विकास के तरीकों को अभिवृद्धि करता है जो अधिक संरक्षण करने वाले होते हैं। इससे बाढ़ और सुखाड़ जैसी समस्याओं को रोकने और समाधान करने के लिए संभवता बढ़ती है।
इन सभी उपायों को अपनाकर बाढ़ और सुखाड़ जैसी समस्याओं को कम किया जा सकता है। इसके अलावा आवश्यक होता है कि लोगों को आपदा से जुड़े जानकारी और सचेतता का संचार किया जाए ताकि वे आपदा से निपटने में सक्षम हों।